



नागौर. प्राचीन समय हो या आधुनिक समय हो, लेकिन गुरु का महत्व हमेशा ही रहा है. लेकिन जब कोई गुरु अपने पढ़ाई हुऐ छात्र को अपना प्रेरक मान ले तो थोड़ा सुनने और देखने में अजीब लगता है. हम खींवसर शिक्षा विभाग के अधिकारी के बारें में बताने वाले हैं, जिन्होंने अपने जीवन की सफलता के लिए अपने शिष्य से प्रेरणा ली.
खींवसर के रहने वाले राजूराम खदाव का जन्म जोधपुर जिले में हुआ, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. ऐसे में बचपन से पढ़ने में रुचि अधिक थी. इसके लिए 7 किलोमीटर पैदल चलकर जाना-आना करते थे. जैसे-तैसे करके 2002 में गजसिंहपुरा से बीएड कर ली. दो साल और मेहनत करने पर इनका सलेक्शन 2005 में थर्ड ग्रेड टीचर में हो गया. लेकिन इससे पहले इन्होंने दो साल तक एक निजी विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्य किया. यहीं वह मोड़ था जहां उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया. राजूराम जब वहां पर बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहे थे, तब 2004 में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में इनका पढ़ाया हुआ एक छात्र छत्रसिंह पूरे राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा देने वाले अभ्यार्थियों में प्रथम स्थान आया था. उसके बाद राजूराम खदाव के जीवन में बड़ा परिवर्तन आया.
2011 मे हैडमास्टर की तैयारी करते समय शिष्य को माना रोल मॉडल
राजूराम खदाव ने बताया कि जब मैं 2011 मे प्रधानाध्यापक की तैयारी कर रहा था, उस समय एक बात हमेशा मन के भीतर रहती थी कि अगर मेरा पढ़ाया हुआ छात्र राजस्थान में टॉप कर सकता है तो मैं क्यों नहीं कर सकता. इसी बात को ध्यान में रखकर में तैयारी करता था. इसके बाद प्रधानाध्यापक का रिजल्ट आने के बाद मैंने जोधपुर जिले में प्रथम स्थान हासिल किया और पूरे राजस्थान में 44वीं रैंक हासिल की. वर्तमान समय में 7 जनवरी 2021 से खींवसर में अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (ACBEO) के पद पर कार्यरत हूं.
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FIRST PUBLISHED : April 27, 2023, 10:21 IST
