



भरतपुर. भारतीय कला संस्कृति में वाद्य यंत्रों का विशेष महत्व है. इन्ही में से नगाड़ा एक ऐसा वाद्ययंत्र जो आज भी भारत के विभिन्न आयोजनों में दिखाई देता है. भले ही इसका चलन कम हुआ है, लेकिन आज भी इसकी जगह अन्य वाद्ययंत्र नहीं ले पाया है. जब इसकी आवाज लोगों के कानों में पहुंचती है तो पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं और कई घंटों तक लोग इसे सुनकर मंत्र मुग्ध हो जाते हैं. राजस्थान के भरतपुर जिले में अब कुछ ही ऐसे वादक हैं जो नगाड़ा बजाते हैं.
इन लोगों का कहना है कि अब बहुत कम लोग ही हैं जो उन्हें कार्यक्रमों में नगाड़ा बजाने के लिए आमंत्रित करते हैं. अब यह नगाड़ा बजाने के कार्य लोक कला संस्कृति व मंदिरों के कार्यक्रमों तक सीमित रह गया है. इसे बजाने वाले लोग अपने सामने रोजी रोटी का संकट पैदा होते देख इसे छोड़कर अन्य कार्य करने में लग गए हैं.
भरतपुर के रशीद 20 साल से बजा रहे है नगाड़ा
नगाड़ा वादक रशीद खान ने बताया कि उन्हें नगाड़ा बजाते करीब 20 साल हो गए. जब मैंने नगाड़ बजाना सीखा था तो लोग इस वाद्ययंत्र को सुनने में रुचि लेते थे. शादी के अलावा सभी मांगलिक कार्यक्रमों में आमंत्रित करके उचित ईनाम राशि दी जाती थी. जिससे परिवार का गुजारा अच्छी तरह से हो जाता था. इस कंप्यूटर युग में लोगों के मनोरंजन के तमाम साधन आ गए हैं, जिनके चलते लोग पुराने वाद्ययंत्रों को भूलने लगे हैं. अब यह वाद्ययंत्र लोक कला संस्कृति और मंदिरों के विशेष कार्यक्रमों में दिखाई देते हैं. फिर भी लोग इन वाद्य यंत्रों को सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. यही वजह है कि इसके वादक अब इस कार्य को छोड़ मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार को पाल रहे हैं. अब वही लोग नगाड़ा बजा रहे हैं जो मेहनत मजदूरी करने में असमर्थ हैं.
जानें कैसे होता है नगाड़ा
नगाड़ा एक वाद्ययंत्र है.यह एक प्रकार का ड्रम है जिसका पीछे का भाग गोलाकार होता है. बजाने के लिए वादक लकड़ी के दो डंडे का प्रयोग करते हैं. नगाड़े को लोकनाट्यों, विवाह और मांगलिक उत्सव, देवालयों में शहनाई के साथ बजाया जाता है. इसके अलावा उसका उपयोग युद्धों में भी किया जाता था.
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FIRST PUBLISHED : April 27, 2023, 11:07 IST
