



विजय राठौड़/ग्वालियर: मध्य प्रदेश का शहर ग्वालियर सदैव से ही संतों की तपोस्थली रहा है. ग्वालियर किले के चारों ओर पर्वतों पर संतों द्वारा कई मंदिरों की स्थापना की गई. जिनमें से विभिन्न मंदिर आज भी तत्कालीन समय की आध्यात्मिक गाथा का बखान कर रहे हैं.
यह मंदिर उदाहरण है कि उस समय लोग कितने आध्यात्मिक और धार्मिक हुआ करते थे. ऐसा ही एक मंदिर शहर की सत्यनारायण की टेकरी के समीप स्थित है, जिसे भैरव बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर के पुजारी की मानें तो या मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है.
चूने व गारे से बना है मंदिर
मंदिर के पुजारी जगदीश महाराज ने बताया कि यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है. इसकी प्राचीनता इस बात से सिद्ध होती है कि यह मंदिर चूने और गारे से बना है. एवं मंदिर की दीवारें भी काफी प्राचीन हैं. मंदिर में भगवान भैरवनाथ मूर्ति रूप में विराजमान हैं. जिनकी प्रतिदिन पूजा अर्चना की जाती है. यहां रोजाना दर्शनों के लिए लोग आते हैं.
मंदिर के नीचे रहकर तपस्वी करते थे साधना
मंदिर काफी रहस्यमयी है. ऊपर से साधारण नजर आने वाले इस मंदिर में नीचे जाने के लिए गुप्त रास्ता है, जिसके माध्यम से नीचे एक कक्ष में पहुंचते हैं. पुजारी महाराज की मानें तो यह संतों का तपो कक्ष है. यहां प्राचीन समय में बड़े-बड़े संतों ने देश दुनिया से दूर रहकर तपस्या की है. यहां पर मां वैष्णवी विराजमान हैं और ऊपर भैरव बाबा का स्थान है. मंदिर के गुप्त कक्ष में भी रोशनी व हवा के लिए पर्याप्त व्यवस्था है, ताकि किसी को भी साधना करते समय सांस लेने में परेशानी न हो.
भैरव अष्टमी पर होता है विशाल भंडारा
यह मंदिर बेहद प्राचीन है और यहां बड़ी संख्या में लोग भगवान के इस स्वरूप के दर्शन के लिए आते हैं. बताया जाता है कि भैरव अष्टमी पर यहां पर लोग अपनी विशेष पूजा करवाने के लिए भी आते हैं और भैरव अष्टमी पर यहां विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें शहर भर से लोग प्रसादी पाने के लिए आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 27, 2023, 13:41 IST
